Tuesday, May 12, 2015

महाराणा प्रताप (1572-1597)

महाराणा प्रताप (1572-1597)
• इनको मवाड केशरी के नाम से जाना जाता है
• इनका जन्म 9 मई , 1540 को कटारगढ (कुम्भलगढ दुर्ग) मेँ हुआ।
• इनके पिता महाराणा उदयसिँह और उनकी माता जैवतबाई थी।
• इनका राज्याभिषेक उदयपुर मेँ गोगुंदा नामक स्थान पर 28 फरवरी , 1572 को हुआ।
• अकबर ने महाराणा प्रताप के पास चार बार सन्धि वार्ता हेतु शिष्टमण्डल भेजे थे।
1572 मेँ जलाल खाँ कोची को भेजा।
1573 मेँ राजा मानसिँह को भेजा।
सितम्बर , 1573 मेँ भगवानदास को भेजा
दिसम्बर, 1573 मेँ राजा टोडरमल को भेजा।
• हल्दीघाटी का युद्ध हल्दीघाटी के दर्रे के बाहर बनास नदी के निकट खमनौर गाँव (राजसमंद) मेँ लङा गया।
• डाँ गोपीनाथ शर्मा ने युद्ध आरम्भ होने की तिथि 21 जून , 1576 बतायी है।
• महाराणा प्रताप का सेनानायक हकिम खाँ सूरी (हरावल) था और मुगल सेनानायक मानसिँह था।
• बदायूंनी अकबर का साहित्यकार था जो हल्दीघाटी के युद्ध मेँ मुगल सेना के साथ मौजुद था। बदायूंनी ने इस युद्ध मेँ राजपूतोँ के खून से अपनी दाढी रंगी। उसने इस युद्ध को गोगुन्दा का युद्ध कहा है।
• बंदायूनी ने फारसी भाषा मेँ सबसे मौलिक ऐतिहासिक ग्रंथ मुन्तखब उल तवारिख लिखा जो मुगल काल का सबसे ज्यादा बिकने वाला ग्रंथ है। इसमेँ हल्दीघाटी के युद्ध का वर्णन है।
• अबुल फजल ने अकबरनामा ग्रंथ मेँ हल्दीघाटी के युद्ध का वर्णन किया है। इसने हल्दीघाटी के युद्ध को खमनौर की लङाई कहा है।
• महाराणा उदयसिँह की सोलंकी रानी सजनाबाई का पुत्र और प्रताप के अनुज शक्तिसिँह ने प्रताप का सहयोग किया
• भामाशाह महाराणा प्रताप के प्रधानमंत्री थे। इनका जन्म पाली मेँ हुआ था। ये ओसवाल की कावङिया शाखा से थे। इन्होने 1580 मेँ चूलिया ग्राम मेँ राणा को अपनी निजी संपत्ति 20 हजार स्वर्ण मुद्राएँ आर्थिक सहायता के रूप मेँ दी। इस कारण भामाशाह को मेवाङ का दानवीर कहते है।
• पूर्व सादङी के सरदार झाला बीदा ने युद्ध मेँ महाराणा प्रताप के प्राण संकट मेँ देखकर उनके सिर से राजकीय छत्र उतारकर अपने सिर पर धारण कर लिया । जिससे शत्रुओँ ने उन्हेँ महाराणा प्रताप समझकर मार डाला और महाराणा प्रताप के प्राण बच गये।

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